Sonia Yoga Channel
Wednesday, 23 September 2015
Wednesday, 16 September 2015
BHADRASANA - by Sonia Pal
BHADRASANA |
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BHADRASANA
In Sanskrit ‘Bhadra’ means ‘auspicious’ and ‘asana’ means ‘pose’.
Yogi Swatmarama, the author of Hatha Yoga Pradeepika mentions four main asanas for meditation. Bhadrasana is mentioned as the fourth asana suitable for prolonged periods of sitting. The Hatha Yoga Pradeepika(1/55),(1/56) also calls Bhadrasana the destroyer of diseases. It also says that the yogi can get rid of fatigue by sitting in this asana. Those who suffer from knee problems should avoid this asana.
Importance:
Bhadrasana activates the root chakra or the Mooladhara chakra.
- It strengthens the thighs, hips and buttocks.
- It is good for developing flexibility of the legs.
- Bhadrasana is an excellent posture for meditation.
- The posture directs the pranic energy upwards.
- It also calms the brain and reduces mental activity.
- The pose can relieve stiffness of knees, hips and ankle-joints
- Bhadrasana should be practiced for healthy kidneys, prostrate, and urinary bladder.
- Tension is released from the spinal coccygeal and sacral regions.
- Practicing of this posture helps in blood supply to the muscles and ligaments of the uro-genital region.
- The pelvis muscles are strengthened.
Silient Points:-
- The first effort is to bring your feet close to your body and in contact with your perineum.
- Press your knees down, trying to place the legs flat onto the floor.
Tips for Beginners:-
Sit in front of a wall and perform the exercise with the toes touching the wall, moving your hip slowly closer to your feet.
When to Avoid Bhadrasana:-
If you have knee problems, pain and weakness in the knees or if your ligaments are worn or torn, you should avoid this position. If you are in doubt, please consult your doctor or physiotherapist and let your yoga teacher know about it.
Saturday, 12 September 2015
Health Tips - by Sonia Pal (Fitness & Yoga Expert)
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Health Tips
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गिलोय-डेंगू बुखार का इलाज !
आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, जिससे कई लोगों की जान जा रही है। यह एक ऐसा वायरल रोग है, जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है, परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है।
लक्षण : तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सूखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं, जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है।
यदि आपके किसी भी जानकार को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चार चीज़ें रोगी को दें :-
(1) अनार जूस
(2) गेहूं घास रस
(3) पपीते के पत्तों का रस
(4) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व
-अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है। यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है।
-पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है। उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में दो से तीन बार दें, एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संख्या बढ़ने लगेगी।
-गिलोय बेल की डंडी ले, डंडी के छोटे टुकड़े करे। उसे दो गिलास पानी मे उबालें, जब पानी आधा रह जाये तो ठंडा होने पर काढ़े को रोगी को पिलायें। मात्र 45 मिनट बाद cells सेल्स बढ़ने शुरू हो जाएँगे!
-गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में दो तीन बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है।
-यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर “गिलोय घनवटी” ले आयें, जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में तीन बार दें।
-यदि बुखार एक दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें।
-यदि रोगी बार-बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा निम्बू मिलाकर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी।
-यदि रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है, तब भी यह (उक्त) चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं।
-डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होताहै।
-रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती।
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